मंगलवार, 27 अक्तूबर 2015

Hanuman Ashtak in Hindi



।।हनुमान अष्टक ।।


बाल समय रवि भक्षी लियो तब,
तीनहुं लोक भयो अंधियारों । 
ताहि सों त्रास भयो जग को,
यह संकट काहु सों जात  न टारो । 
देवन आनि करी बिनती तब,
छाड़ी दियो रवि कष्ट निवारो । 
को नहीं जानत है जग में कपि,
संकटमोचन नाम तिहारो । 

बालि की त्रास कपीस बसैं गिरि,
जात महाप्रभु पंथ निहारो । 
चौंकि महामुनि साप दियो तब ,
चाहिए कौन बिचार बिचारो । 
कैद्विज रूप लिवाय महाप्रभु,
सो तुम दास के सोक निवारो ।  
को नहीं जानत है जग में कपि,
संकटमोचन नाम तिहारो । 

अंगद के संग लेन गए सिय,
खोज कपीस यह बैन उचारो । 
जीवत ना बचिहौ हम सो  जु ,
बिना सुधि लाये इहाँ पगु धारो । 
हेरी थके तट सिन्धु सबे तब ,
लाए सिया-सुधि प्राण उबारो ।  
को नहीं जानत है जग में कपि,
संकटमोचन नाम तिहारो । 

रावण त्रास दई सिय को सब ,
राक्षसी सों कही सोक निवारो । 
ताहि समय हनुमान महाप्रभु ,
जाए महा रजनीचर मरो । 
चाहत सीय असोक सों आगि सु ,
दै प्रभुमुद्रिका सोक निवारो । 
को नहीं जानत है जग में कपि,
संकटमोचन नाम तिहारो । 

बान लाग्यो उर लछिमन के तब ,
प्राण तजे सूत रावन मारो । 
लै गृह बैद्य सुषेन समेत ,
तबै गिरि द्रोण सु बीर उपारो । 
आनि सजीवन हाथ  दिए तब ,
लछिमन के तुम प्रान उबारो । 
को नहीं जानत है जग में कपि,
संकटमोचन नाम तिहारो । 

रावन जुध अजान कियो तब ,
नाग कि फाँस सबै सिर डारो । 
श्रीरघुनाथ समेत सबै दल ,
मोह भयो यह संकट भारो । 
आनि खगेस तबै हनुमान जु ,
बंधन काटि सुत्रास निवारो । 
को नहीं जानत है जग में कपि,
संकटमोचन नाम तिहारो । 

बंधू समेत जबै अहिरावन, 
लै रघुनाथ पताल सिधारो । 
देबिन्हीं पूजि भलि विधि सों बलि ,
देउ सबै मिलि मन्त्र विचारो । 
जाये सहाए भयो तब ही ,
अहिरावन सैन्य समेत संहारो 
को नहीं जानत है जग में कपि,
संकटमोचन नाम तिहारो । 

काज किये बड़ देवन के तुम ,
बीर महाप्रभु देखि बिचारो । 
कौन सो संकट मोर गरीब को ,
जो तुमसे नहिं जात है टारो । 
बेगि हरो हनुमान महाप्रभु ,
जो कछु संकट होए हमारो। 
को नहीं जानत है जग में कपि,
संकटमोचन नाम तिहारो । 

              ।।दोहा।।
लाल देह लाली लसे , अरु धरि लाल लंगूर । 
वज्र देह दानव दलन , जय जय जय कपि सूर ।। 

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